धरती पर वह स्थान जहां पर जीव पाये जाते हैं उसे जैव मण्डल कहा जाता है । मनुष्यों द्वारा प्रकृति के अंधाधुंद दोहन ने आज बहुत सी जीवों की प्रजातियों को लुप्त कर दिया है और बहुत सी प्रजातियों को लुप्त होने के कगार पर खड़ा कर दिया है । जिससे परिस्थितिकी असंतुलन का खतरा उभर के सामने आ गया है। यदि इसे रोका न गया तो आने वाले समय में परिणाम बड़े ही भयावह होंगे। जीवों को लुप्त होने से बचाने और परिस्थितिकी असंतुलन जैसी घटनाओं को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों में एक है जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र जिसमे क्षेत्र विशेष को आरक्षित घोषित कर के उस क्षेत्र में मानवीय गतिविधियों को न्यूनतम कर दिया जाता है जिससे उस क्षेत्र विशेष में पायी जाने वाली विशेष जीवों की प्रजातियों की रक्षा की जा सके ।
जैवमंडल रिज़र्व (Biosphere Reserves): यह संरक्षित क्षेत्रों की एक विशेष श्रेणी है जहाँ मानव आबादी भी वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था का हिस्सा होती है। ये आमतौर पर 5000 वर्ग किमी. से अधिक बड़े संरक्षित क्षेत्र होते हैं। बायोस्फीयर रिज़र्व में 3 भाग होते हैं- कोर (Core), बफर (Buffer) और ट्रांज़िशन ज़ोन (Transition Zone)।
कोर ज़ोन, एक इनर ज़ोन है। यह अविभाजित एवं कानूनी रूप से संरक्षित क्षेत्र है। बफर ज़ोन, कोर एवं ट्रांज़िशन ज़ोन के बीच स्थित होता है। कुछ शोध एवं शैक्षिक गतिविधियों की यहाँ अनुमति दी जाती है। ट्रांज़िशन ज़ोन, जैवमंडल रिज़र्व का सबसे बाहरी हिस्सा होता है। यहाँ फसल, वानिकी, मनोरंजन, मछली पालन एवं अन्य गतिविधियों की अनुमति दी जाती है।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने वर्ष 1971 में मानव और जैवमंडल कार्यक्रम (MAB) की शुरुआत की थी। जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थापित करने का प्रमुख उद्देश्य जैव विविधता व पारिस्थितिकीय तंत्र को दीर्घकालीन संरक्षण प्रदान करना, जैव संसाधनों का उचित प्रबंधन करना, जैव विविधता के क्षेत्र में शिक्षण-प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करना तथा इस क्षेत्र में आर्थिक सहयोग प्राप्त करना है। भारत में ऐसा पहला जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र यूनेस्को के सहयोग से 1986 में नीलगिरी क्षेत्र में स्थापित किया गया। अब तक देश में कुल 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थापित किए जा चुके है, जिसमें से 12 को यूनेस्को जैवमंडलीय आरक्षित क्षेत्र के विश्व नेटवर्क पर मान्यता प्रदान की गई है।
SL NO | YEAR | NAME | UNESCO YEAR | STATE | SPECIES | AREA |
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1 | 1986 | NILGIRI | 2000 | TAMILNADU,KERLA KARNATAKA | NILGIRI THAR,LION TAILED MAKAK | 5520 |
2 | 1988 | NANDA DEVI | 2004 | UTTARAKHAND | 5860 | |
3 | 1989 | GULF OF MANNAR | 2001 | TAMILNADU,KERLA | DUGONG | 10500 |
4 | 1988 | NOKREK | 2009 | MEGHALAYA | RED PANDA | 820 |
5 | 1989 | SUNDARVAN | 2001 | WEST BENGAL | ROYAL BENGAL TIGER | 9630 |
6 | 1989 | MANAS | ASAM | GOLDEN LANGOOR, RED PANDA | 2837 | |
7 | 1994 | SIMLIPAL | 2009 | ODISHA | GAUR,ROYAL BENGAL TIGER,ELEPHANT | 4374 |
8 | 1998 | DIHANG DIBANG | ARUNACHAL | 5112 | ||
9 | 1999 | PANCHMADHI | 2009 | MP | GIANT SQUIRILL, FLYING SQUIRILL | 4981 |
10 | 2005 | ACHANAKMAR AMARKANRAK | 2012 | MP,CHHATISGADH | FOUR HORNED ANTILOPE, INDIAN WILD DOG,SARAS,WHITE RUMPED VULTURE, SCARED GROVE BUSH FROG | 3835 |
11 | 2008 | GREAT RUNN OF KUTCHH | GUJRAT | INDIAN WILD ASS | 12454 | |
12 | 2009 | COLD DESERT | HIMACHAL | SNOW LEOPERD | 7770 | |
13 | 2000 | KHANGCHENDZONGA | 2018 | SIKKIM | SNOW LEOPARD,PANDA | 2620 |
14 | 2001 | AGASTYAMALAI | 2016 | KERLA, TAMILNADU | NILGIRI THAR, ELEPHANT | 3500 |
15 | 1989 | GREAT NICOBAR | 2013 | ANDMAN & NICOBAR | SALT WATER CROCODILE | 885 |
16 | 1997 | DIBRU SAIKHOVA | ASSAM | GOLDEN LANGOOR | 765 | |
17 | 2010 | SESHACHALAM HILLS | AP | 4755 | ||
18 | 2011 | PANNA | 2020 | MP | TIGER,CHITAL,CHINKARA,SAMBHAR, SLOTH BEAR | 2998 |
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