31.प्रगामी कर (Progressive tax) :क्रमबद्ध कर व्यवस्था जिसमें अधिक आय श्रेणी वाले उचित दर पर कर अदा करते हैं अर्थात आय में वृद्धि के साथ साथ कर में भी समानुपातिक वृद्धि होती रहती है। |
32.कठोर मुद्रा (Hard money) :किसी भी देश की वह मुद्रा जो स्वर्ण या अन्य किसी देश की मुद्रा में आसानी से परिवर्तनीय है हार्ड करेंसी कहलाती है। |
33.गिफिन वस्तु (Giffin Goods) :ऐसी वस्तु की सर्वप्रथम पहचान रॉबर्ट गिफेन ने की इसमें ऋणात्मक आय प्रभाव धनात्मक प्रतिस्थापन प्रभाव से अधिक शक्तिशाली होता है जिससे उनकी कीमतें घटने पर इनकी मांग में कमी तथा कीमत में वृद्धि पर मांग में वृद्धि होती है अतः इस प्रकार की वस्तुओं पर मांग का नियम लागू नहीं होता है यह इस नियम के अपवाद है। |
34.‘से’ का बाजार नियम (Market’s low of say) :सभी उत्पादनों की मात्रा के परिणाम स्वरुप देश के परिचालन में उतनी ही मात्रा में क्रय शक्ति प्रविष्ट हो जाती है फलत: जितना उत्पादन होता है सारा का सारा स्वत: ही बिक जाता है अत: पूर्ति स्वयं अपनी मांग उत्पन्न करती है यही ‘से’ का बाजार नियम है। |
35.मौडवैट (Modvat) :वर्ष 1986 के प्रारंभ में किया गया संशोधित मूल्य संवर्धन पर लगाया गया केंद्रीय उत्पाद वह शुल्क है जिसके फलस्वरूप निजी वस्तुओं का उत्पादक प्रयोग आगतों पर बार-बार उत्पादन कर देने के भार से मुक्त हो जाता है। |
36.भुगतान संतुलन (Balance of payment) :किसी देश द्वारा या अन्य देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ होने वाले लेन-देन में आगत : निर्यात का वह लेखा-जोखा जो दो खंडों चालू खाता और पूंजी खाता में विभाजित होता है भुगतान संतुलन की होता है। |
37.प्लास्टिक मनी (plastic money) :विभिन्न संस्थानों वित्तीय संस्थानों एवं कंपनियों द्वारा जारी किए गए क्रेडिट कार्ड डेबिट कार्ड इत्यादि वाले प्रकार के प्लास्टिक कार्ड जिनका प्रयोग मुद्रा के कार्यों के रूप में हो सके प्लास्टिक मनी कहलाती है। |
38.गैर निष्पादन कारी परिसंपत्तियां (Non performance assets) :बैंकों द्वारा वितरण ऐसे सभी देय ब्याज जिनका किसी वित्तीय वर्ष में मूलधन का भुगतान 90 दिनों तक रोक लिया जाता है। |
39.ले ऑफ (Lay off) :जब किसी वस्तु की मांग में कमी होने से औद्योगिक संस्थान द्वारा उत्पादन कम किए जाने के कारण कर्मचारियों की नौकरी से छटनी की जाती है तो इसे ही ले लॉक कहा जाता है। |
40.राजस्व घाटा (Revenue deficit) :कुल राजस्व प्राप्तियों की तुलना में जब कुल राजस्व व्यय अधिक होता है तो इसे राजस्व घाटा कहा जाता है। |
41.प्राथमिक घाटा (Primary deficit) :जब राजकोषीय घाटे में से ब्याज भुगतान को घटा दिया जाता है तो बचे अवशेष को प्राथमिक घाटा कहते हैं प्राथमिक घाटा वर्तमान वर्ष के घाटे की माप करता है इसे शुद्ध राजकीय घाटा भी कहा जाता है। |
42.रैचेड प्रभाव (Rechelt effect) :आय में जब वृद्धि होती है तो उपभोग स्तर में तीव्र वृद्धि होती है परंतु जब आय में कमी होती है तो आय में कमी के अनुपात में उपयोग में कमी नहीं होती इसे ड्यूजेनरी की सापेक्ष आय परिकल्पना भी कहा जाता है। |
43.लोरेंज वक्र (Lawrense Curve) :इस वक्र द्वारा लोगों के बीच आय विषमता को ज्ञात करते हैं इसे 1992 में मैक्सओ लॉरेंस ने विकसित किया लोरेंज वक्र का प्रतिबिंब उन व्यक्तियों को प्रदर्शित करता है जो एक निश्चित आय के प्रतिशत के नीचे होते हैं। |
44.मांग का नियम (law of demand) :अन्य बातों के समान रहने पर वस्तु की कीमत तथा मांग के बीच विपरीत संबंध होते हैं अर्थात वस्तु की कीमत में कमी वस्तु की मांग में वृद्धि करेगी तथा इसके विपरीत कीमत में वृद्धि वस्तु की मांग में कमी करेगी यही मांग का नियम है। |
45.प्रत्यक्ष कर :वह कर जिसमे कर स्थापितकर्ता (सरकार) और करदाता के बीच प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है। अर्थात जिसके ऊपर कर लगाया जा रहा है सीधे वही व्यक्ति भरता है। |
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