क्रम संख्या | लोकोक्ति | अर्थ |
1 | अंधेर नगरी चौपट राजा टका सेर भाजी टका सेर खाजा | जहाँ मालिक मूर्ख हो वहाँ सद्गुणों का आदर नहीं होता। |
2 | अंधों के आगे रोना अपना दीदा खोना | मूर्खों को सदुपदेश देना या अच्छी बात बताना व्यर्थ है। |
3 | अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता | अकेला आदमी बिना दूसरों के सहयोग के कोई बड़ा काम नहीं कर सकता। |
4 | अक्ल के अंधे गाँठ के पूरे | बुद्धिहीन किन्तु धनवान |
5 | अक्ल बड़ी या भैंस | बुद्धि शारीरिक शक्ति से अधिक श्रेष्ठ होती है। |
6 | अति सर्वत्र वर्जयेत् | किसी भी काम में हमें मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। |
7 | अधजल गगरी छलकत जाय | जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता हैं वह उसका प्रदर्शन या आडम्बर करता है। |
8 | अन्धा क्या चाहे दो आँखें | मनचाही बात हो जाना |
9 | अन्धा बाँटे रेवड़ी फिरफिर अपनों को दे | अधिकार पाने पर स्वार्थी मनुष्य केवल अपनों को ही लाभ पहुँचाते हैं। |
10 | अन्धों में काना राजा | मूर्खो में कुछ पढ़ालिखा व्यक्ति |
11 | अपना ढेंढर न देखे और दूसरे की फूली निहारे | अपना दोष न देखकर दूसरों का दोष देखना |
12 | अपनी करनी पार उतरनी | मनुष्य को अपने कर्म के अनुसार ही फल मिलता है |
13 | अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है | अपने घर या गलीमोहल्ले में बहादुरी दिखाना |
14 | अपनी पगड़ी अपने हाथ | अपनी इज्जत अपने हाथ होती है। |
15 | अपनीअपनी डफली अपनाअपना राग | कोई काम नियमकायदे से न करना |
16 | अपने मुँह मियाँ मिट्ठू | अपनी बड़ाई या प्रशंसा स्वयं करने वाला |
17 | अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत | समय निकल जाने के पश्चात् पछताना व्यर्थ होता है |
18 | अमानत में खयानत | किसी के पास अमानत के रूप में रखी कोई वस्तु खर्च कर देना |
19 | अशर्फियाँ लुटें कोयलों पर मुहर | एक तरफ फिजूलखर्ची दूसरी ओर एकएक पैसे पर रोक लगाना |
20 | अस्सी की आमद चौरासी खर्च | आमदनी से अधिक खर्च |
21 | आ बैल मुझे मार | स्वयं मुसीबत मोल लेना |
22 | आँख का अन्धा नाम नयनसुख | गुण के विरुद्ध नाम होना। |
23 | आँख के अन्धे गाँठ के पूरे | मूर्ख किन्तु धनवान |
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