क्रम संख्या | लोकोक्ति | अर्थ |
24 | आँखों के अन्धे नाम नयनसुख | गुण के विरुद्ध नाम होना |
25 | आई मौज फकीर को दिया झोंपड़ा फूँक | वैरागी स्वभाव के पुरुष मनमौजी होते हैं। |
26 | आग लगन्ते झोपड़ा जो निकले सो लाभ | नुकसान होतेहोते जो कुछ बच जाय वही बहुत है। |
27 | आग लगाकर जमालो दूर खड़ी | झगड़ा लगाकर अलग हो जाना |
28 | आगे कुआँ पीछे खाई | दोनों तरफ विपत्ति या परेशानी होना |
29 | आगे नाथ न पीछे पगहा | किसी तरह की जिम्मेवारी का न होना |
30 | आज हमारी कल तुम्हारी | जीवन में विपत्ति सब पर आती है। |
31 | आधा तीतर आधा बटेर | बेमेल स्थिति |
32 | आधी छोड़ सारी को धावे आधी रहे न सारी पावे | अधिक लालच करना बुरा होता है |
33 | आप काज महा काज | अपना काम स्वयं करने से ठीक होता है। |
34 | आप डूबे जग डूबा | जो स्वयं बुरा होता है दूसरों को भी बुरा समझता है। |
35 | आप भला तो जग भला | दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए तो दूसरे भी अच्छा व्यवहार करेंगे |
36 | आम के आम गुठलियों के दाम | अधिक लाभ |
37 | आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास | आवश्यक कार्य को छोड़कर अनावश्यक कार्य में लग जाना |
38 | आसमान से गिरे खजूर में अटके | एक मुसीबत खत्म न हो उससे पहले दूसरी मुसीबत आ जाए |
39 | इतनीसी जान गज भर की जुबान | बहुत बढ़बढ़ कर बातें करना |
40 | इधर कुआँ और उधर खाई | हर तरफ विपत्ति होना |
41 | इन तिलों में तेल नहीं निकलता | कंजूसों से कुछ प्राप्त नहीं हो सकता। |
42 | इस हाथ दे उस हाथ ले | लेने का देना |
43 | ईंट की लेनी पत्थर की देनी | बदला चुकाना |
44 | ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया | ईश्वर की बातें विचित्र हैं। |
45 | ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया | संसार में सभी एक जैसे नहीं हैं कोई अमीर है कोई गरीब |
46 | उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई | इज्जत जाने पर डर किसका? |
47 | उद्योगिन्न पुरुषसिंहनुपैति लक्ष्मी | उद्योगी को ही धन मिलता है। |
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