| क्रम संख्या | लोकोक्ति | अर्थ | 
| 408 | सभी जो चमकता है सोना नहीं होता | जो ऊपर से आकर्षक और अच्छा मालूम होता है वह हमेशा अच्छा नहीं होता | 
| 409 | समय पाय तरवर फले केतो सींचो नीर | समय आने पर ही सब काम पूरे होते हैं उससे पहले नहीं | 
| 410 | सयाना कौआ गलीज खाता है | चालाक लोग बुरी तरह से धोखा खाते हैं। | 
| 411 | सस्ता रोवे बारबार महँगा रोवे एक बार | बारबार सस्ती चीज की मरम्मत करानी पड़ती है परन्तु महंगी चीज खरीदने पर ऐसा नहीं करना पड़ता | 
| 412 | सहज पके सो मीठा होय | जो काम धीरेधीरे होता है वह संतोषप्रद और पक्का होता है | 
| 413 | साँच को आँच नहीं | जो मनुष्य सच्चा होता है उसे डर नहीं होता | 
| 414 | साँप का बच्चा सपोलिया | शत्रु का पुत्र शत्रु ही होता है। | 
| 415 | साँप निकल गया लकीर पीटने से क्या लाभ | यदि आदमी अवसर पर चूक जाए तो बाद में उसे पछताना पड़ता है। | 
| 416 | साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे | आसानी से काम हो जाना | 
| 417 | सात पाँच की लाकड़ी एक जने का बोझ | एकता में बहुत शक्ति होती है। | 
| 418 | सारी रामायण सुन गये सीता किसकी जोय जोरू | सारी बात सुन जाने पर साधारण सी बात का भी ज्ञान न होना | 
| 419 | सावन के अंधे को हराहीहरा सूझता है | अमीर या सुखी व्यक्ति समझता है कि सब लोग आनन्द में हैं। | 
| 420 | सावन सूखा न भादों हरा | सदा एक ही दशा में रहने वाला | 
| 421 | सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े | किसी कार्य का श्रीगणेश करते ही उसमें विघ्न पड़ना | 
| 422 | सीधी ऊँगली से घी नहीं निकलता | सीधेपन से काम नहीं चलता | 
| 423 | सुनिए सबकी कीजिए मन की | बातें तो सबकी सुन लेनी चाहिए पर जो अच्छा लगे उसी के अनुसार काम करना चाहिए। | 
| 424 | सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते | यदि कोई व्यक्ति शुरू में गलती करे और बाद में सुधर जाए तो उसकी गलती क्षमा योग्य होती है। | 
| 425 | सूरा सो पूरा | बहादुर या साहसी लोग सब कुछ कर सकते हैं। | 
| 426 | सेर को सवा सेर | बहुत बुद्धिमान या बलवान को उससे भी बुद्धिमान या बलवान आदमी मिल जाता है। | 
| 427 | सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का | जब किसी का कोई मित्र या संबंधी उच्च पद पर हो तो उससे लाभ मिलने की संभावना होती है। | 
| 428 | सोने पे सुहागा | किसी वस्तु या व्यक्ति का और बेहतर होना | 
| 429 | सोवेगा तो खोवेगा जागेगा सो पावेगा | जो मनुष्य आलसी होता है उसको कुछ नहीं मिलता और जो परिश्रमी होता है उसे सब कुछ मिलता है। | 
| 430 | सौ कपूतों से एक सपूत भला | अनेक कुपुत्रों से एक सुपुत्र अच्छा होता है। | 
| 431 | सौ सुनार की एक लुहार की | कमजोर आदमी की सौ चोट और बलवान व्यक्ति की एक चोट बराबर होती है। | 
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