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लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ

क्रम संख्या लोकोक्ति  अर्थ
96 कुत्तों के भौंकने से हाथी नहीं डरते विद्वान लोग मूर्खों और ओछों की बातों की परवाह नहीं करते
97 कै हंसा मोती चुगे कै लंघन मर जाय प्रतिष्ठित और विद्वान व्यक्ति अपने अनुकूल प्रतिष्ठा के साथ ही जाना ठीक समझता है।
98 कोयले की दलाली में मुँह काला बुरों के साथ बुराई ही मिलती है
99 कोयले की दलाली में हाथ काले बुरी संगत का बुरा असर
100 कौड़ी न हो पास तो मेला लगे उदास धन के अभाव में जीवन में कोई आकर्षण नहीं
101 खग जाने खग ही की भाषा साथी की बात साथी समझ लेता है
102 खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है एक को देखकर दूसरा बालक या व्यक्ति भी बिगड़ जाता है।
103 खरा खेल फर्रुखावादी स्पष्टवक्ता सदा सुखी होता है

104 खरी मजूरी चोखा काम मजदूरी के तुरन्त बाद नकद पैसे मिलना
105 खाली दिमाग शैतान का घर बेकार बैठने से तरहतरह की खुराफातें सूझती हैं।
106 खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे किसी बात पर लज्जित होकर क्रोध करना
107 खुदा गंजे को नाख़ून न दे नाकाबिल को कोई अधिकार नहीं मिलना चाहिए
108 खुशामद से ही आमद होती है बड़े आदमियों धनी या बड़े पद वालों की खुशामद करने से धन यश और पद प्राप्त होता है।
109 खून सिर चढ़कर बोलता हैै पाप स्वतः सामने आ जाता है
110 खूब मिलाई जोड़ी एक अंधा एक कोढ़ी एक ही प्रकार के दो मनुष्यों का साथ
111 खेत खाये गदहा मार खाये जोलहा अपराध करे कोई दण्ड मिले किसी और को

112 खोदा पहाड़ निकली चुहिया बहुत कठिन परिश्रम का थोड़ा लाभ
113 गंगा गए तो गंगादास जमुना गए तो जमनादास सिद्धांतहीन मनुष्य अवसरवादी
114 गया वक्त फिर हाथ नहीं आता जो समय बीत जाता है वह वापस नहीं आता
115 गरज पड़ने पर गधे को भी बाप कहना पड़ता है मुसीबत में हमें छोटेछोटे लोगों की भी खुशामद करनी पड़ती है।
116 गरजने वाले बादल बरसते नहीं हैं जो बहुत बढ़बढ़ कर बातें करते हैं वे काम कम करते हैं।
117 गरीब की जोरू सबकी भाभी कमजोर पर सब अधिकार जताते हैं
118 गवाह चुस्त मुद्दई सुस्त जिसका काम हो वह परवाह न करे बल्कि दूसरा आदमी तत्परता दिखाए
119 गाँव का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध बाहर के व्यक्तियों का सम्मान पर अपने यहाँ के व्यक्तियों की कद्र नहीं
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