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लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ

क्रम संख्या लोकोक्ति  अर्थ
120 गागर में सागर भरना कम शब्दों में बहुत कुछ कहना
121 गाछे कटहल ओठे तेल काम होने के पहले ही फल पाने की इच्छा
122 गीदड़ की शामत आए तो वह शहर की तरफ भागता है जब विपत्ति आती है तब मनुष्य की बुद्धि विपरीत हो जाती है।
123 गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज कोई बड़ी बुराई करना और छोटी से बचना
124 गुड़ गुड़ चेला चीनी गुरु से शिष्य का ज्यादा काबिल हो जाना
125 गुड़ न दे तो गुड़ की सी बात तो कहे भले ही किसी को कुछ न दें पर मधुर व्यवहार करें
126 गुरु गुड़ ही रहा चेला शक़्कर हो गया शिष्य का गुरु से अधिक उन्नति करना
127 गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है अपराधियों के साथ निर्दोष व्यक्ति भी दण्ड पाते हैं।

128 गोद में छोरा नगर में ढिंढोरा पास की वस्तु का दूर जाकर ढूँढना
129 घड़ी में घर जले नौ घड़ी भद्रा हानि के समय सुअवसरकुअवसर पर ध्यान न देना
130 घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध जो मनुष्य बहुत निकटस्थ या परिचित होता है उसकी योग्यता को न देखकर बाहर वाले की योग्यता देखना
131 घर का भेदी लंका ढाए आपस की फूट से हानि होती है।
132 घर की मुर्गी दाल बराबर घर की वस्तु या व्यक्ति को कोई महत्व न देना
133 घर पर फूस नहीं नाम धनपत गुण कुछ नहीं पर गुणी कहलाना
134 घर में दिया जलाकर मसजिद में जलाना दूसरे को सुधारने के पहले अपने को सुधारना
135 घर में नहीं दाने बुढ़िया चली भुनाने झूठा दिखावा करना

136 घी का लड्डू टेढ़ा भला लाभदायक वस्तु किसी तरह की क्यों न हो।
137 घोड़ा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्या मेहनताना या पारिश्रमिक माँगने में संकोच नहीं करना चाहिए।
138 चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाय अत्यधिक कंजूसी करना
139 चलती का नाम गाड़ी हस्ती समाप्त होने के बाद भी धाक जमी रहना
140 चाँद पर थूका मुँह पर गिरा सज्जन की बुराई करने से अपनी ही बेइज्जती होती है
141 चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात सुख के कुछ दिनों के बाद दुख का आना
142 चिकने घड़े पर पानी नहीं ठरहता बेशर्म आदमी पर किसी बात का कोई असर नहीं होता
143 चित भी मेरी पट भी मेरी अंटा मेरे बाप का हर तरह से लाभ चाहना
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