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लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ

क्रम संख्या लोकोक्ति  अर्थ
144 चिराग तले अँधेरा अपनी बुराई नहीं दीखती
145 चील के घोंसले में मांस कहाँ किसी व्यक्ति से ऐसी वस्तु की प्राप्त करने की आशा करना जो उसके पास न हो।
146 चूहे घर में दण्ड पेलते हैं आभावहीआभाव
147 चोर की दाढ़ी में तिनका अपने आप से डरना
148 चोर के पैर नहीं होते चोर चोरी करते वक्त जरासी आहट से डरकर भाग जाता है।
149 चोर पर मोर एक दूसरे से ज्यादा धूर्त
150 चोरचोर मौसेरे भाई एक व्यवसाय या स्वभाव वालों में जल्दी मेल हो जाता है।
151 चोरी और सीना जोरी अपराध करके अकड़ना

152 चोरी चोरी से जाय पर हेराफेरी से न जाय किसी की प्रकृति में पूर्ण परिवर्तन न होना
153 छछूंदर के सिर में चमेली का तेल किसी व्यक्ति के पास ऐसी वस्तु हो जो कि उसके योग्य न हो।
154 छोटा बड़ा खोटा नाटा आदमी बड़ा तेजतर्रार होता है।
155 छोटा मुँह बड़ी बात कम उम्र या अनुभव वाले मनुष्य का लम्बीचौड़ी बातें करना
156 छोटे मियां तो छोटे मियां बड़े मियां सुभान अल्लाह जब बड़ा छोटे से अधिक शैतान हो
157 जंगल में मोर नाचा किसने देखा ऐसे स्थान में कोई अपना गुण दिखाए जहाँ कोई देखने वाला न हो।
158 जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना जब कोई कष्ट सहने के लिए तैयार हो तो डर कैसा
159 जब चने थे तब दांत न थे जब दांत हुए तब चने नहीं जब धन था तब बच्चे न थे जब बच्चे हुए तब धन नहीं है।

160 जब तक जीना तब तक सीना जब तक मनुष्य जीवित है तब तक उसे कुछ न कुछ काम तो करना ही पड़ता है।
161 जब तक सांस तब तक आस जब तक मनुष्य जीवित है तब तक आशा बनी रहती है।
162 जर जोरू जमीन जोर की नहीं तो और की धन स्त्री और जमीन बलवान अपने बल से प्राप्त कर सकता है निर्बल व्यक्ति नहीं
163 जल में रहकर मगरमच्छ से बैर जिसके सहारे रहे उसी से दुश्मनी करना
164 जल्दी का काम शैतान का देर का काम रहमान का जल्दी करने से काम बिगड़ जाता है और शांति से काम ठीक होता है।
165 जहाँ का पीवे पानी वहाँ की बोले बानी जिस व्यक्ति का खाए उसी कीसी बातें करनी चाहिए
166 जहाँ चाह वहाँ राह जब किसी काम को करने की व्यक्ति की इच्छा होती है तो उसे उसका साधन भी मिल ही जाता है।
167 जहाँ जाए भूखा वहाँ पड़े सूखा अभागे मनुष्य को हर जगह दुःख ही दुःख मिलता है।
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