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लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ

क्रम संख्या लोकोक्ति  अर्थ
168 जाका कोड़ा ताका घोड़ा जिसके पास शक्ति होती है उसी की जीत होती है।
169 जाके पांव न फटी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई जिस मनुष्य पर कभी दुःख न पड़ा हो वह दूसरों का दुःख क्या समझे
170 जाको राखै साइयाँ मारि सकै ना कोय जिसका रक्षक ईश्वर है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता
171 जागेगा सो पावेगा सोवेगा सो खोवेगा जो हर क्षण सावधान रहता है उसे ही लाभ होता है।
172 जान न पहचान बड़ी बुआ सलाम बिना जानपहचान के किसी से भी संबंध जोड़कर बातचीत करना
173 जान बची तो लाखों पाये जान बचने से बड़ा कोई लाभ नहीं है।
174 जान मारे बनिया पहचान मारे चोर बनिया परिचित व्यक्ति को ठगता है और चोर भेद मिलने से चोरी करता है।
175 जान है तो जहान है संसार में जान सबसे प्यारी वस्तु है।

176 जितना गुड़ डालोगे उतना ही मीठा होगा जितना अधिक रुपया खर्च करेंगे उतनी ही अच्छी वस्तु मिलेगी
177 जितनी चादर हो उतने ही पैर फैलाओ आदमी को अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार ही कोई काम करना चाहिए
178 जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ परिश्रम का फल अवश्य मिलता है
179 जिस थाली में खाना उसी में छेद करना जिस व्यक्ति के आश्रय में रहना उसी को हानि पहुँचाना
180 जिसका काम उसी को छाजै और करे तो डंडा बाजै जिसको जिस काम का अभ्यास और अनुभव होता है वह उसे सरलता से कर लेता है। गैरअनुभवी आदमी उसे नहीं कर सकता
181 जिसकी जूती उसी का सिर किसी व्यक्ति की चीज से उसी को हानि पहुँचाना
182 जिसकी बिल्ली उसी से म्याऊँ जब किसी के द्वारा पालापोसा हुआ व्यक्ति उसी को आँखें दिखाए
183 जिसकी लाठी उसकी भैंस बलवान की ही जीत होती है

184 जैसा दाम वैसा काम जितनी अच्छी मजदूरी दी जाएगी उतना ही अच्छा काम होगा
185 जैसा देश वैसा वेश जहाँ रहना हो वहीं की रीतियोंनीतियों के अनुसार आचरण करना चाहिए
186 जैसी करनी वैसी भरनी कर्म के अनुसार फल मिलता है
187 जो करेगा सो भरेगा जो जैसा काम करेगा वैसा फल पाएगा
188 जो किसी को कुआँ खोदता है उसको खाई तैयार रहती है जैसे को तैसा
189 जो गरजते हैं वो बरसते नहीं जो लोग बहुत शेखी बघारते हैं वे बहुत अधिक काम नहीं करते
190 झट मंगनी पट ब्याह किसी काम का जल्दी से हो जाना
191 झूठे का मुँह काला सच्चे का बोलबाला अंत में सच्चे आदमी की ही जीत होती है।
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