| क्रम संख्या | लोकोक्ति | अर्थ |
| 192 | झोपड़ी में रह के महलों के सपने देखे | अपनी सीमा से अधिक पाने की इच्छा करना |
| 193 | टके की हांडी गई कुत्ते की जात पहचानी गई | थोड़े ही खर्च में किसी के चरित्र को जान लेना |
| 194 | टुकड़े दे दे बछड़ा पाला सींग लगे तब मारन चाला | कृतघ्न व्यक्ति |
| 195 | ठंडा लोहा गरम लोहे को काटता है | शांत प्रकृति वाला मनुष्य क्रोधी मनुष्य को हरा देता है। |
| 196 | ठठेरेठठेरे बदलौअल | चालाक को चालक से काम पड़ना |
| 197 | ठेस लगे बुद्धि बढ़े | हानि मनुष्य को बुद्धिमान बनाती है। |
| 198 | डरा सो मरा | डरने वाला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता |
| 199 | डूबते को तिनके का सहारा | विपत्ति में पड़े हुए मनुष्य को थोड़ा सहारा भी काफी होता है। |
| 200 | डेढ़ पाव आटा पुल पर रसोई | थोड़ी पूँजी पर झूठा दिखावा करना |
| 201 | ढाक के वही तीन पात | परिणाम कुछ नहीं निकलना बात वहीं की वहीं रहना |
| 202 | तन पर नहीं लत्ता पान खाय अलबत्ता | शेखी बघारना |
| 203 | तबेले की बला बंदर के सिर | दोष किसी का सजा किसी और को |
| 204 | ताड़ से गिरा तो खजूर पर अटका | एक खतरे में से निकलकर दूसरे खतरे में पड़ना |
| 205 | ताली एक हाथ से नहीं बजाई जाती | प्रेम या लड़ाई एकतरफा नहीं होती |
| 206 | तीन कनौजिया तेरह चूल्हा | जितने आदमी उतने विचार |
| 207 | तीन में न तेरह में | जिसकी पूछ न हो |
| 208 | तीन लोक से मथुरा न्यारी | निराला ढंग |
| 209 | तुम डालडाल तो मैं पातपात | किसी की चालों को खूब समझना |
| 210 | तुरत दान महाकल्यान | समय रहते किया गया कार्य उपयोगी साबित होता है |
| 211 | तेते पाँव पसारिए जैती लाँबी सौर | आय के अनुसार ही व्यय करना चाहिए |
| 212 | तेल तिलों से ही निकलता है | यदि कोई आदमी किसी मामले में कुछ खर्च करता है तो वह फायदा उस मामले से ही निकाल लेता है। |
| 213 | तेल देखो तेल की धार देखो | किसी कार्य का परिणाम देखने की बात करना |
| 214 | तेली का तेल जले मशालची का दिल जले | जब एक व्यक्ति कुछ खर्च कर रहा हो और दूसरा उसे देख कर ईर्ष्या करे |
| 215 | थका ऊँट सराय तके | दिनभर काम करने के बाद मजदूर को घर जाने की सूझती है। |
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