| क्रम संख्या | लोकोक्ति | अर्थ |
| 216 | थूक कर चाटना ठीक नहीं | देकर लेना ठीक नहीं वचनभंग करना अनुचित। |
| 217 | थोथा चना बाजे घना | वह व्यक्ति जो गुण और विद्या कम होने पर भी आडम्बर करे |
| 218 | दमड़ी की बुलबुल नौ टका दलाली | काम साधारण खर्च अधिक |
| 219 | दमड़ी की हाँड़ी गयी कुत्ते की जात पहचानी गयी | मामूली वस्तु में दूसरे की पहचान। |
| 220 | दादा बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया | रुपैयापैसा ही सब कुछ है |
| 221 | दालभात में मूसलचन्द | दो व्यक्तियों के काम की बातों में तीसरे आदमी का हस्तक्षेप करना |
| 222 | दीवारों के भी कान होते हैं | गुप्त परामर्श एकांत में धीरे बोलकर करना चाहिए |
| 223 | दुधारू गाय की लात भी सहनी पड़ती है | जिस व्यक्ति से लाभ होता है उसकी कड़वी बातें भी सुननी पड़ती हैं। |
| 224 | दुविधा में दोऊ गए माया मिली न राम | अनिश्चय की स्थिति में काम करने पर एक में भी सफलता नहीं मिलती |
| 225 | दूध का जला छाछ भी फूँकफूँक कर पीता है | एक बार धोखा खाने के बाद बहुत सोचविचार कर काम करना |
| 226 | दूध का जला मट्ठा भी फूंकफूंक कर पीता है | एक बार धोखा खा जाने पर सावधान हो जाना |
| 227 | दूध का दूध और पानी का पानी | सच्चा न्याय |
| 228 | दूधो नहाओ पूतो फलो | आशीर्वाद देना |
| 229 | दूर के ढोल सुहावने लगते हैं | दूर के व्यक्ति अथवा वस्तुएँ अच्छी मालूम पड़ती हैं। |
| 230 | देखे ऊँट किस करवट बैठता है? | देखें क्या फैसला होता है? |
| 231 | देर आयद दुरुस्त आयद | कोई काम देर से हो परन्तु ठीक हो |
| 232 | देशी मुर्गी विलायती बोल | बेमेल काम करना |
| 233 | दो मुल्लों में मुर्गी हराम | एक चीज को दो या अधिक आदमी प्रयोग करें तो उसकी खींचातानी होती है। |
| 234 | दोनों हाथों में लड्डू होना | दोनों तरफ लाभ होना |
| 235 | धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का | जिसके रहने का कोई पक्का ठिकाना न हो |
| 236 | धोबी से पार न पावे गधे के कान उमेठे | बलवान पर वश न चले तो निर्धन पर गुस्सा निकालना |
| 237 | न आगे नाथ न पीछे पगहा | जिसका कोई सगासम्बन्धी न हो |
| 238 | न आव देखा न ताव | बिना सोचेसमझे काम करना |
| 239 | न ईंट डालो न छींटे पड़ें | यदि तुम किसी को छेड़ोगे तो तुम्हें दुर्वचन अवश्य सुनने पड़ेंगे |
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